
भारतीय मूल के विदेशी
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Posted on Nov 30, 2021
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By Manjesh kumar
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Published in Marketing
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7 Views

एक बिहारी मुझसे बोले की रूसी मोदी को सरकारी नौकरी नही मिली होगी तभी वो टाटा ग्रुप ज्वाइन किए होंगे 😐
~ बिना ऐसी सोच के बाहर निकले आप आर्थिक प्रगति नहीं कर सकते और वरना बिहार हमेशा भारत का झुग्गी झोपड़ी ही रह जायेगा ।
: प्रख्यात लेफ्टिस्ट विनोद मिश्र और टाटा संस वाले गोपाल कृष्णन दोनो एक ही दौर के आस पास के इंजीनियरिंग कॉलेज के प्रोडक्ट थे । विनोद मिश्र अपनी पृष्ठभूमि से बाहर नही निकल पाए और गोपाल कृष्णन हिंदुस्तान लीवर में मार्केटिंग ज्वाइन कर लिए । बात 1968/69 की रही होगी । नासिक में पोस्टिंग थी । और उस वक्त बड़े पहिया वाले बैलगाड़ी से साबुन तेल किराना वाले को पहुंचाया जाता था । और बैल गाड़ी के पीछे पीछे गोपाल कृष्णन । अचानक नासिक में कोई परिचित पर नजर पड़ी तो वो बैल गाड़ी के चक्के के पीछे छुप गए । ‘ लोग क्या कहेंगे ’ 😂😂 आईआईटी से पास होकर दुकान दुकान साबुन तेल बेच रहा है । 😂😂😂 लेकिन यह बात अलग है की भारत में सेल्स और मार्केटिंग में यूनिलीवर से ज्यादा कठिन कोई शुरुआती नौकरी नही होती ।
~ खैर , अपने पटना में भी एक मगध स्टॉक एक्सचेंज होता था 😐
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