
जाबाज़ ओफिसर्स श्री बिपिन रावत सक्सेस स्टोरी...
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Posted on Dec 10, 2021
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By Motivationalvichar
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Published in Education
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इनका जन्म उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले में राजपूत परिवार मे हुआ ।( ये रावत है ,जो गढ़वाल के उत्तराखंड के राजपूत की शाखा है। जनरल रावत की माताजी परमार वंश से है। इनके पुर्वज मायापुर/हरिद्दार से आकर गढवाल के परसई गांव मे बसने के कारण परसारा रावत कहलाये । रावत एक मिल्ट्री टाईटल है जो विभिन्न राजपूत शासको को दिए गये थे । इनके पिता लेफ्टिनेंट जनरल लक्ष्मण सिंह जी रावत, जो सेना से लेफ्टिनेंट जनरल के पद से सेवानिवृत्त हुए। रावत ने ग्यारहवीं गोरखा राइफल की पांचवी बटालियन से 1978 में अपने करियर की शुरुआत की थी। रावत ने देहरादून में कैंबरीन हॉल स्कूल, शिमला में सेंट एडवर्ड स्कूल और भारतीय सैन्य अकादमी , देहरादून से शिक्षा ली , जहां उन्हें 'सोर्ड ऑफ़ ऑनर ' दिया गया। वह फोर्ट लीवनवर्थ , यूएसए में डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज , वेलिंगटन और हायर कमांड कोर्स के स्नातक भी हैं। उन्होंने मद्रास विश्वविद्यालय से डिफेंस स्टडीज में एमफिल , प्रबंधन में डिप्लोमा और कम्प्यूटर स्टडीज में भी डिप्लोमा किया है। 2011 में, उन्हें सैन्य-मीडिया सामरिक अध्ययनों पर अनुसंधान के लिए चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय , मेरठ द्वारा डॉक्टरेट ऑफ़ फिलॉसफी से सम्मानित किया गया
जनरल बिपिन रावत का आर्मी में ऐसा शानदार सफर रहा, देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस तक पहुंचे
अपने चार दशकों की सेवा के दौरान जनरल रावत ने एक ब्रिगेड कमांडर, जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ (जीओसी-सी) दक्षिणी कमान, सैन्य संचालन निदेशालय में जनरल स्टाफ ऑफिसर ग्रेड 2, कर्नल सैन्य सचिव और उप सैन्य सचिव के रूप में कार्य किया है. जूनियर कमांड विंग में सैन्य सचिव की शाखा और वरिष्ठ प्रशिक्षक. वह संयुक्त राष्ट्र शांति सेना का भी हिस्सा रहे हैं और उन्होंने कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में एक बहुराष्ट्रीय ब्रिगेड की कमान संभाली थी.
गोरखा ब्रिगेड से सीओएएस बनने वाले चौथे अधिकारी बनने से पहले रावत थल सेनाध्यक्ष बने. उन्होंने पूर्वोत्तर में आतंकवाद को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जिसमें उनके करियर का एक मुख्य आकर्षण म्यांमार में 2015 का सीमा पार ऑपरेशन था, जिसमें भारतीय सेना ने एनएससीएन-के आतंकवादियों द्वारा घात लगाकर सफलतापूर्वक जवाब दिया था. यह मिशन रावत की देखरेख में दीमापुर स्थित III कोर के ऑपरेशन कमांड से चलाया गया था.
जनरल रावत 2016 की सर्जिकल स्ट्राइक की योजना का भी हिस्सा था, जिसमें भारतीय सेना नियंत्रण रेखा के पार पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में चली गई थी. रावत नई दिल्ली में साउथ ब्लॉक से घटनाक्रम की निगरानी कर रहे थे. अपनी सेवा के दौरान, जनरल रावत को परम विशिष्ट सेवा पदक, उत्तम युद्ध सेवा पदक, अति विशिष्ट सेवा पदक, विशिष्ट सेवा पदक, युद्ध सेवा पदक और सेना पदक से अलंकृत किया गया है.
हेलिकोप्टर हादसे मे मृत्यु
8 दिसम्बर 2021, तमिलनाडु में कुन्नूर के पास को भारतीय वायुसेना का एक हेलीकॉप्टर (एमआई -17 वीएच हेलिकॉप्टर) रक्षा प्रमुख जनरल बिपिन रावत के साथ दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इस दुर्घटना में शामिल चौदह में से तेरह लोगों की मौत की पुष्टि की गई थी। इस स्तिथि को देखते हुए वायुसेना के द्वारा जाँच का आदेश दिया गया। इस हेलीकॉप्टर ने कोयंबटूर में सुलूर आईएएफ स्टेशन से उड़ान भरी थी और यह रक्षा प्रमुख को लेकर वेलिंग्टन सैन्य अधिकारी अकादमी जा रहा था।
दोस्तो, ऐसे जाबाज़ ओफिसर्स को कोटी कोटी नमन।
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